रविवार, 2 जून 2024

तटस्थता की महत्ता और सत्य का ज्ञान

जीवन में सच्चाई को समझने के लिए तटस्थता बहुत महत्वपूर्ण है। जब हम किसी स्थिति या व्यक्ति से आसक्त हो जाते हैं, तो हमारे अंदर राग-द्वेष की भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं। इन भावनाओं के कारण हम वस्तुस्थिति को उसकी वास्तविकता में नहीं देख पाते और सत्य से दूर हो जाते हैं।

हम जब किसी भी वस्तु को अपना मानकर उससे जुड़ जाते हैं, तो हमारा व्यवहार उसके प्रति पक्षपातपूर्ण हो जाता है। इसी प्रकार, यदि हम अपने आप को संसार की समस्त वस्तुओं, संबंधों और स्वयं अपने शरीर से अलग मानते हैं, तो हम उनके प्रति तटस्थ भाव बनाए रख सकते हैं।

ज्ञानी पुरुष ऐसा ही करते हैं। वे सभी बाह्य वस्तुओं और अपने शरीर से भी अपने आप को पृथक मानते हैं। इस तटस्थ दृष्टिकोण के कारण उनमें न तो किसी के प्रति राग होता है और न ही द्वेष। वे हर स्थिति को शांत चित्त से देखते हैं और उसकी वास्तविक प्रकृति को समझने में सक्षम होते हैं।

यही तटस्थता हमें भी वस्तुस्थिति को सही ढंग से देखने में मदद कर सकती है। जब हम किसी भी स्थिति से निष्पक्ष होते हैं, तभी हम उसके सभी पहलुओं को स्पष्ट रूप से समझ पाते हैं। किसी भी चीज से मोहित या विरक्त होने पर हमारा निर्णय पक्षपातपूर्ण हो सकता है, जिससे हम सही निष्कर्ष नहीं निकाल पाएंगे।

अतः तटस्थता का महत्व बहुत अधिक है। यह न केवल हमें सत्य का ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करती है, बल्कि हमारे मन को भी शांत रखती है। जब हम किसी भी बात को बिना किसी पक्षपात के देखते हैं, तो हमारा दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है। हम बेहतर निर्णय ले पाते हैं और जीवन में सुख-शांति महसूस करते हैं।

इसलिए, हमें अपने जीवन में तटस्थता को अपनाना चाहिए। हर स्थिति और संबंध को बिना किसी पूर्वाग्रह के देखना सीखना चाहिए। इससे न केवल हमारी समझ बढ़ेगी, बल्कि हम अपने भीतर शांति और संतोष भी पा सकेंगे।

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