शनिवार, 1 जून 2024

जीवन में आसक्ति और अहंकार से मुक्ति

संसार में हमारे आसपास की सभी वस्तुएं क्षणिक हैं। हम उन्हें अपना मानकर अहंकार करते हैं, लेकिन वास्तव में वे थोड़े समय के लिए ही हमारे साथ रहतीं हैं। हमें अपनी चेतना के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए न कि नश्वर वस्तुओं पर।

हमारा अहंकार तभी बना रहता है जब हम किसी वस्तु से ममत्व और अपनेपन का भाव जोड़ते हैं। लेकिन यह संसार एक सराय के समान है। यहां मिलने वाले जीवनयापन के साधन और उपभोग की वस्तुएं कुछ समय के लिए ही हमारे साथ रहतीं हैं। हमसे पहले भी हमारे पूर्वज इन्हीं वस्तुओं का उपयोग करते थे और आगे भी कोई और इनका लाभ उठाएगा।

इस वास्तविकता को समझना महत्वपूर्ण है कि दुनिया की कोई भी वस्तु हमेशा हमारी नहीं रहेगी। अतः हमें अपनी चेतना के विकास पर ध्यान लगाना चाहिए न कि विनाशी वस्तुओं पर अपना समय व्यर्थ करना चाहिए। अपनी आंतरिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति पर ध्यान केंद्रित करना ज़रूरी है।

नश्वर वस्तुओं से मोह जोड़कर हम अपना समय और शक्ति बर्बाद करते हैं। इसके बजाय, हमें अपने भीतर झांकना चाहिए और अपनी आत्मा की आवाज़ सुननी चाहिए। यही हमें शाश्वत सुख और संतोष प्रदान करेगा। इस तरह आसक्ति और अहंकार से मुक्त होकर हम वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

समग्र रूप से, जीवन में सच्ची खुशी प्राप्त करने के लिए हमें बाहरी वस्तुओं से आसक्त नहीं होना चाहिए। आंतरिक शांति और चेतना के विकास पर ध्यान देना बेहतर है। इससे न केवल हमारा अस्तित्व गौरवशाली होगा, बल्कि हम जीवन की सच्ची खुशी भी प्राप्त कर सकेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: